अगर किसी को शारीरिक और मानसिक कष्ट हो तो कल के दिन एक कासीं की कटोरी लेकर उसमे तेल और कुछ दाने काले तिल के डालकर उसमे एक सिक्का डालकर अपने सिर पर 11 बार धुमाकर शनि मन्दिर में अर्पण करे और प्रार्थना करे की आप हमारे कष्ट दूर करे।ध्यान रखे शनि देव की आँखो में नही देखे और उनके सामने भी खड़े नही रहें।आप तिरछे खड़े रहकर ही तेल अर्पण करे।जिनके साढ़े साती चल रही है और ढय्या चल रही हे।वे जातक 11 लोहे की कीले लेकर तेल में डालकर 11 उड़द के दाने डालकर शनि देव का स्मरण करते हुए अर्पण करे ।अगर आप आकड़े के नीले फूल या काले फूल अर्पण करे तो शनि देव प्रसन्न होंगे।शनि देव की पत्नियों के नाम का जपः करने से कष्ट से मुक्ति मिलती हे। जिनके लग्न चोथे छटे आँठवे और बाहरवें घर में शनि हो या शनि की महादशा या अंतर दशा चल रही हे तो शनि के बीज मन्त्र का जपः करके हवन करे और फिर स्नान करके अपने पहने हुए वस्त्र धारण दान करे।आपको अतिशीघ्र फायदा होगा।जिनकी वाणी तेज हे और जिनके बालने से कार्य नही हो रहा हे वे सॉफ् डालकर चाय बनाकर गरीबो में बाटे । शनि अमावस्या के दिन भगवान सूर्य देव के पुत्रशनि देव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। किसी माह के जिस शनिवार कोअमावस्या पड़ती है, उसी दिन ‘शनि अमावस्या’ मनाई जानी है। यह ‘पितृकार्येषु अमावस्या’ और ‘शनिश्चरी अमावस्या’ के रूप में भी जानी जाती है। ‘कालसर्प योग’, ‘ढैय्या’ तथा ‘साढ़ेसाती’ सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए ‘शनि अमावस्या’ एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं में ‘शनि अमावस्या’ की काफ़ी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास, और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है।
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