कर्म करो और फल की आसक्ति को छोड़ो। किंतु इस संबंध में तीन अलग-अलग स्वभाव के इंसान जिनको रज, तम और सत गुणी माना जाता है तीन तर्क देते हैं –
– तमोगुणी का विचार होता है जब फल या नतीजे छोडऩा ही है तो कर्म क्यों करें?
– रजोगुणी सोचता है काम कर उससे मिलने वाले फल का लाभ व हक मेरा हो।
– जबकि सतोगुणी सोचता है कि काम करें किंतु फल या नतीजों पर अपना अधिकार न समझें। इन तीन विचारों में सत्वगुणी का नजरिया ही कर्म योग माना जाता है। क्योंकि ऐसे इंसान की सोच होती है कि वह ऐसा काम करें, जिसमें स्वार्थ पूर्ति या उनके नतीजों के लाभ पाने की आसक्ति या भाव न हो। यही नहीं इसी सोच में तमोगुणी के काम से बचने और रजोगुणी के फल पर अधिकार की सोच दूर रहती है। यही स्थिति निष्काम कर्म के लिये प्रेरित करती है, जिससे इंसान हर स्थिति में सुख और सफलता प्राप्त करता चला जाता है।
Leave a Comment