क्या आपको पता है कि मूली जो कि घर-घर में सलाद और सब्जी के रूप में खाई जाती है, आपकी स्मरण शक्ति बढ़ा सकती है। इसमें विटामिन ए पाया जाता है जिससे दांतों को मजबूती मिलती है। मूली का सेवन बालों को गिरने से रोकता है। इसमें मजबूत विटामिन बी और विटामिन सी भी नर्वस सिस्टम को भी मजबूत करता है। यह सब्जी जमीन के अंदर पैदा होती है। यह पूरे विश्व भर में उगाई एंव खायी जाती है। मूली की अनेक प्रजातियाँ हैं जो आकार, रंग एवं पैदा होने में लगने वाले समय के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। मूली कच्ची खायें या इस के पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं, हर प्रकार से बवासीर में लाभदायक है। गर्दे की खराबी से यदि पेशाब का बनना बन्द हो जाए तो मूली का रस दो औंस प्रति मात्रा पीने से वह फिर बनने लगता है। मूली खाने से मधुमेह में लाभ होता है। एक कच्ची मूली नित्य प्रातः उठते ही खाते रहने से कुछ दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है। गर्मी के प्रभाव से खट्टी डकारें आती हो तो एक कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पेशाब कम बनना :-
गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब का बनना बंद हो जाए तो मूली का रस 50 मिलीलीटर रोजाना पीने से, पेशाब फिर बनने लगता है।
आधा गिलास मूली के रस का सेवन करने से पेशाब के साथ होने वाली जलन और दर्द मिट जाता है।
पेट में दर्द :-
1 कप मूली के रस में नमक और मिर्च डालकर सेवन करने से पेट साफ हो जाता है और पेट का दर्द भी दूर हो जाता है।
मूली का लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग के रस में आवश्यकतानुसार नमक और 3-4 कालीमिर्च का चूर्ण डालकर 3-4 बार रोगी को पिलाने से पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
10 मिलीलीटर मूली का रस, 10 ग्राम यवक्षार, 50 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण, 50 ग्राम सोडा बाइकार्बोनेट, 2 ग्राम नौसादर, 10 ग्राम टार्टरी को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम पानी के साथ खाने से हर प्रकार का पेट का दर्द दूर हो जाता है।
100 मिलीलीटर मूली का रस, 200 ग्राम घीकुंवार का रस, 50 मिलीलीटर अदरक का रस, 20 ग्राम सुहागे का फूल, 20 ग्राम नौसादर ठीकरी, 20 ग्राम पांचों नमक, 10-10 ग्राम चित्रकमूल, भुनी हींग, पीपल मूल, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवाइन, लौह भस्म और 150 ग्राम पुराना गुड़। सभी औषधियों को पीसकर चूर्ण बनाकर मूली, घीकुंवार और अदरक के रस में मिलाकर, अमृतबान (एक बर्तन) में भरकर, अमृतबान का मुंह बंद करके 15 दिन धूप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें, आवश्यकतानुसार इस मिश्रण को 6-10 ग्राम तक लगभग 30 मिलीलीटर पानी में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पीलिया, मंदाग्नि, भूख न लगना, कब्ज और पेट में दर्द आदि पेट से सम्बंधित रोग दूर हो जाते हैं। मासिक-धर्म के कष्ट के साथ आता हो या अनियमित हो तो इस मिश्रण को 2 चाय वाले चम्मच-भर सुबह-शाम 3 सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करना लाभदायक है।
मूली के रस में कालीमिर्च और 1 चुटकी काला नमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
मूली के रस में काला या सेंधा नमक मिलाकर प्रयोग करने से पेट की पीड़ा में राहत मिलती है।
मूली की राख, करेला का रस, साण्डे की जड़ का रस, गडतूम्बा का रस को 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार पीने से पीलिया, मधुमेह, पेट का दर्द, पथरी, औरतों के पेट में गैस का गोला होना, शरीर का मोटापा, पेट में कब्ज के कारण रूकी हुई वायु तथा अजीर्ण आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
20 से 40 मिलीलीटर मूली के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
मूली के रस में नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से वायु विकार से उत्पन्न पेट दर्द समाप्त हो जाता है।
मधुमेह (डायबिटिज) :-
मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
आधी मूली का रस दोपहर के समय मधुमेह रोगी को देने से लाभ होता है।
पीलिया (कामला, पाण्डु) :-
एक कच्ची मूली रोजाना सुबह सोकर उठने के बाद ही खाते रहने से कुछ ही दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह के समय रोगी को पिलाएं, इसे पीते ही लाभ होगा और 1 सप्ताह में रोगी को आराम मिल जाएगा।
मूली में विटामिन `सी´, लौह, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नेशियम और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो लीवर (जिगर) की क्रिया को ठीक करते हैं। अत: पाण्डु (पीलिया) रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।
मूली का रस 10-15 मिलीलीटर 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में उतारकर 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं, साथ ही मूली और मूली का साग खिलाते रहने से पीलिया ठीक हो जाता है।
सिरके में बने मूली के अचार के सेवन से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
लगभग आधा से 1 ग्राम मण्डूरभस्म, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म को शहद के साथ रोगी को चटायें। फिर ऊपर से 100 मिलीलीटर मूली के रस में चीनी मिलाकर पिलायें। इसे रोजाना सुबह-शाम पिलाने से 15-20 दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें इसमें दूध की भांति झाग ऊपर आ जाता है, इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से कामला (पीलिया) रोग मिट जाता है।
पत्तों सहित मूली का रस निकाल लें, फिर दिन में 3 बार 20-20 ग्राम की मात्रा में पीने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।
70 मिलीलीटर मूली के रस में 40 ग्राम शक्कर (चीनी) मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
60 मिलीलीटर मूली के पत्ते का रस व 15 ग्राम खांड मिलाकर पीने से पीलिया रोग में आराम आता है।
मूली की सब्जी का सेवन करने से पीलिया रोग मिट जाता है।
मूली के 100 मिलीलीटर रस में 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है। रोगी को मूली, संतरा पपीता, खरबूज, अंगूर और गन्ना आदि खाने को देना चाहिए।
मूली के पत्तों का 80 मिलीलीटर रस निकालकर किसी बर्तन में आग पर चढ़ा दें, जब पानी उबल जाए, तब उसे छानकर उसमें शक्कर मिलाकर खाली पेट पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
25 मिलीलीटर मूली के रस में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पिसा हुआ नौसादर मिलाकर सुबह-शाम लेने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
1 चम्मच कच्ची मूली का रस तथा उसमें 1 चुटकी जवाखार मिलाकर सेवन करें। कुछ दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को लगातार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मूली के पत्तों के 100 मिलीलीटर रस में शर्करा मिलाकर सुबह के समय पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सुबह मूली खाने या इसका रस पीने से भी पीलिया रोग नष्ट होता है।
पीलिया के रोगी को गन्ने के रस के साथ मूली के रस का भी सेवन करना चाहिए, मूली के पत्तों की बिना चिकनाई वाली भुजिया खानी चाहिए।
आंतों के रोग:
मूली का रस आंतों में एण्टीसैप्टिक का कार्य करता हैं।
पथरी :-
30 से 35 ग्राम मूली के बीजों को आधा लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा शेष रह जाए तब इसे छानकर पीएं। यह प्रयोग कुछ दिनों तक करने से मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जाएगी। यह प्रयोग 2 से 3 महीने निरन्तर जारी रखें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बंद हो जाती है।
मूली का 20 मिलीलीटर रस हर 4 घंटे में 3 बार रोजाना पीएं तथा इसके पत्ते चबा-चबाकर खाएं। इससे मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जायेगी। यह प्रयोग 2-3 महीने करें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बंद हो जाती है।
80 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम अजमोद मिलाकर रोजाना पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
मूली में गड्ढ़ा कर उसमें शलगम के बीज डालकर गुन्था आटा ऊपर लपेटकर अंगारों पर सेंक लें, जब पक जाये तब निकालकर आटे को अलग करके मूली को खा लें। इससे पथरी के टुकड़े-टुकड़े होकर निकल जाती है।
मूली का रस निकालकर उसमें जौखार का चूर्ण (पाउडर) आधा ग्राम मिलाकर रोजाना सुबह-शाम खायें। इससे पेडू (नाभि के नीचे का हिस्सा) का दर्द और गैस दूर होती है तथा पथरी गल जाती है।
मूली के पत्तों के रस में शोरा डालकर सेवन करने से पथरी मिटती है।
एक गिलास पानी रात को सोते समय रखें। सुबह उस पानी में 2 ग्राम मूली का रस डालकर पीयें। इसको पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
मासिक-धर्म की रुकावट, अनियमितता व परेशानियां :-
मूली के बीजों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में स्त्री को देने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिक-धर्म साफ होता है।
2-2 ग्राम मूली के बीज, गाजर के बीज, नागरमोथा और हथेली भर नीम की छाल को पीस-छानकर गर्म पानी के साथ सेवन करें। इसके सेवन के बाद में दूध का सेवन करना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव (रजोदर्शन) शुरू हो जाता है।
मासिक-धर्म (ऋतुस्राव) के रुकने के कारण चेहरे पर अधिक मुंहासे निकलते हों तो सुबह के समय मूली और उसके कोमल पत्ते चबाकर खाने से आराम मिलता है। मूली के रस का भी सेवन कर सकते हैं।
मूली, गाजर तथा मेथी के बीज 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम लेकर पानी के साथ सेवन करने से मासिक-धर्म सम्बन्धी शिकायतें दूर हो जाती हैं। 3 ग्राम मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से ऋतुस्राव (मासिक-धर्म का आना) का अवरोध नष्ट होता है।
बवासीर :-
मूली कच्ची खाएं तथा इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त (खून) बंद हो जाता है। बवासीर खूनी हो या बादी 1 कप मूली का रस लें। इसमें एक चम्मच देशी घी मिला लें। इसे रोजाना दिन में 2 बार सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
कोमल मूली के 40-60 मिलीलीटर बने काढ़े में 1-2 ग्राम पीपर का चूर्ण मिलाकर पीने से बवासीर में आराम आता है।
एक सफेद मूली को काटकर नमक लगाकर रात को ओस में रख दें। इसे सुबह खाली पेट खाएं। मलत्याग के बाद गुदा भी मूली के पानी से धोएं या 125 मिलीलीटर मूली के रस में 100 ग्राम देशी घी की जलेबी एक घंटा भीगने दें। उसके तुरन्त बाद जलेबी खाकर पानी पी लें। इस प्रकार निरन्तर एक सप्ताह यह प्रयोग करने से जीवन भर के लिए प्रत्येक प्रकार की बवासीर ठीक हो जाएगी।
मूली के टुकड़े को घी में तलकर चीनी के साथ खाएं या मूली काटकर उस पर चीनी डालकर रोजाना 2 महीने तक खाने से भी बवासीर में लाभ होता है।
सूखी मूली की पोटली गर्म करके बवासीर के मस्सों पर सिंकाई करने से आराम आता है।
सूरन के चूर्ण को घी में भूनकर, मूली के रस में घोंटकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। फिर रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली ताजे पानी के साथ लेने से हर प्रकार की बवासीर नष्ट होती है।
रसौत और कलमी शोरा दोनों को बराबर लेकर, मूली के रस में घोटकर चने के बराबर गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1 से 4 गोली बासी पानी के साथ खाने से दोनों प्रकार की बवासीर नष्ट हो जाती है।
10-10 ग्राम नीम की निंबौली, कलमी शोरा, रसावत और हरड़ को लेकर बारीक पीस लें, फिर इसे मूली के रस में मिलाकर जंगली बेर के बराबर आकार की गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली ताजे पानी या मट्ठा के साथ खाने से खूनी बवासीर से खून आना पहले ही दिन बंद हो जाता है और बादी बवासीर 1 महीने के प्रयोग से पूरी तरह नष्ट हो जाती है।
मूली की जड़ को चाकू या छुरी से गोल-गोल चकतियां बनाकर घी में तलकर मिश्री के साथ खाने से बवासीर में बहुत लाभ होता है।
मूली के रस में नीम की निंबौली की गिरी पीसकर कपूर मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लेप करने से मस्से सूख जाते हैं।
एक अच्छी मोटी मूली लेकर ऊपर की ओर से काटकर चाकू या छुरी से उसे खोखली करके उसमें 20 ग्राम `रसवत´ भरकर मूली के कटे हुए भाग का मुंह बंदकर कपड़े और मिट्टी से अच्छी तरह बंद कर दें। इसे कण्डों की आग में रखकर राख बना लें। दूसरे दिन रसवत निकालकर मूली के रस में कूट कर झड़बेरी के बराबर गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें, फिर इसमें इसी के समान मात्रा में चीनी, मिश्री या खांड मिलाकर रोजाना बासी मुंह 10 ग्राम की मात्रा में खाने से बवासीर में आराम हो जाता है।
मूली की सब्जी बनाकर खाने से बवासीर और पेट दर्द में आराम मिलता है।
बवासीर में सूखी मूली का 20-50 मिलीलीटर सूप, पानी अथवा बकरी के मांस के सूप में मिलाकर पीने से बवासीर के रोग में आराम आता है।
125 मिलीलीटर मूली के रस में 100 ग्राम जलेबी को मिलाकर एक घंटे तक रखें। एक घंटे बाद जलेबी को खाकर रस को पी लें। इसको पीने से 1 सप्ताह में ही बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।
मूली के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे देशी घी में तलकर रोजाना सुबह-शाम खाने से दोनों प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती हैं।
सूखे हुए मूली के पत्तों का चूर्ण बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर प्रतिदिन खाने से बवासीर ठीक होता है।
मूली का रस निकालकर इसके 20 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खून का निकलना बंद हो जाता है।
दाद :-
मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर गर्म करके दाद पर लगाएं। पहले दिन लगाने पर जलन व दर्द होगा, दूसरे दिन यह दर्द कम होगा। ठीक होने पर कोई कष्ट नहीं होगा। यह प्रयोग सूखी या गीली दोनों प्रकार के दाद में लाभदायक है।
मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है।
शरीफे के फलों के रस में मूली के बीज को पीसकर लगाने से दाद का रोग ठीक हो जाता है।
गले के घाव :-
मूली का रस और पानी बराबर मात्रा में मिलाकर नमक डालकर गरारे करने से गले के घाव ठीक हो जाते हैं।
अग्निमान्द्य (भूख का कम लगना), अरुचि, पुरानी कब्ज, गैस :-
भोजन के साथ मूली पर नमक, कालीमिर्च डालकर 2 महीने रोजाना खाएं। पेट के रोगों में मूली की चटनी, अचार व सब्जी खाना भी उपयोगी है।
अम्लपित्त (एसिडिटीज) :-
यदि गर्मी के प्रभाव से खट्ठी डकारें आती हो तो 1 कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है।
100 मिलीलीटर मूली के रस में 10 मिलीलीटर आंवले का रस या 3 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटिज) मे बहुत लाभ होता है।
मूली का रस और कच्चे नारियल के पानी को मिलाकर 250 मिलीलीटर की मात्रा में दिन भर में सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) में काफी आराम आता है।
कोमल मूली को मिश्री मिलाकर खायें या इसके पत्तों के 10-20 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर रोजाना सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) का रोग कम हो जाता है।
मूली के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेट की जलन, गर्मी और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
2 चम्मच मूली के रस में थोड़ी-सी मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खट्टी डकारों से छुटकारा मिल जाता है।
मूली को काटकर सेंधा नमक लगाकर खाली पेट सुबह के वक्त खाने से लाभ होता है, ध्यान रहें कि खांसी की शिकायत हो, तो मूली का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उस समय हानिकारक होगी।
कान का दर्द :-
मूली के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसके 50 मिलीलीटर रस को मिलीलीटर ग्राम तिल के तेल में काफी देर तक पका लें। पकने पर रस पूरी तरह से जल जाये तो उस तेल को कपड़े में छानकर शीशी में भरकर रख लें। कान में दर्द होने पर इस तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
2 से 4 बूंद मूली की जड़ों का रस गर्म करके कान में 2 से 3 बार डालें।
शीतपित्त :-
मूली के जूस का सेवन करने से शीतपित्त रोग ठीक हो जाता है।
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