अध्यात्म आत्म—तत्व क्या है? 9 years agoby Bhakti Pravah291 Views2 min read Written by Bhakti Pravah सद् गुरु ही आत्मस्वरुप का बोध कराता है । यहां पर ऊर्जा आत्मा है और ठंडा-गर्म करने की मशीन शरीर है । ऊर्जा ने न गरम किया न ठण्डा किया । गरम और ठण्डा तो मशीन के द्वारा होता है । उसी प्रकार आत्मा की ऊर्जा से ही सब कुछ होता है, परंतु सक्रियता तो मशीन रुपी शरीर की होती है । मशीन रुपी शरीर के लिये संस्कार होने जरुरी होते हैं । जैसा संस्कार वैसा ही स्वभाव । जैसे दुर्योधन से पूछा कि तू इतनी दुष्टता क्यों करता है ? दुर्योधन ने उत्तर दिया कि मेरे हृदय में भगवान बैठकर गलत काम कराते हैं, इसलिये उसी से पूछो । अब यहां विचार करें कि आत्मा तो साक्षी है । वह सत्कर्म का प्रेरक नहीं और असत्कार्य का निवारक नहीं । गलत काम ईश्वर ने कराया यह कहना केवल व्यर्थ बहाना है । सद् गुरु जाग्रत, स्वप्न एवं सुषुप्ति तीनों अवस्थाओं का जो साक्षी आत्मा है उसी का बोध (ज्ञान) कराता है । आत्मा ज्योति है । दीपक प्रकाश देने का काम करता है । ये प्रकाश ही आत्मा है । दीपक का काम प्रकाशित करना है । चाहे इस प्रकाश का प्रयोग किसी अच्छे काम या बुरे काम के लिये करें जैसे कि चोरी करने के लिये या फिर भागवत जी पढ़ने के काम के लिये इसका प्रयोग किया जा सकता है । सात्विक वृत्तियां सत्कर्म के लिये प्रेरित करती हैं और दुष्प्रवृत्तियां असत् कार्य के लिये प्रेरित करती हैं। आत्मा तो केवल साक्षी है Facebook Twitter Pinterest Love This WhatsApp