अगर आप पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़ेसाती, ढय्या आदि के दुष्प्रभावों को कम करना चाहते हैं तो श्रावण में इस मंत्र का जाप करें
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात
कैसे करें जप
– श्रावण में किसी भी दिन जल्दी उठकर साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले भगवान शिव की पूजा करें।
– भगवान शिव को बिल्व पत्र व भांग अर्पित करें। इसके बाद अकेले में कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें।
– कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।
कालसर्प दोष का प्रभाव कम करने के लिए श्रावण में ये उपाय करें
श्रावण में किसी भी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर किसी शिव मंदिर में जाकर या घर पर ही एकांत में भगवान शिव की प्रतिमा के सामने महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जप करें। प्रत्येक मंत्र जप के साथ एक बिल्वपत्र भगवान शिव पर चढ़ाते रहें।
मंत्र
ऊँ हौं ऊं जूं स: भूर्भुव: स्व: त्र्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवद्र्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुव: स्वरों जूं स: हौं ऊं।।
इसके बाद प्रत्येक दिन इस मंत्र का जप 108 बार करें। यदि यह संभव न हो तो जितना जाप आप कर सकें, उतना ही करें। इस उपाय से कालसर्प दोष का असर कम होने लगेगा तथा हर कार्य में सफलता मिलने लगेगी।
Leave a Comment